केदारनाथ यात्रा जाने का सोच रहे है तो इन 10 बातों का ध्यान रखे

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उत्तराखंड की गोद में स्थित चार धामों की यात्रा मई महीने से प्रारंभ होती है। यह यात्रा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के पावन स्थलों की दर्शनीय यात्रा है। पहले के समय में यह यात्रा वास्तविकता में कठिनाईयों से भरी होती थी, परंतु अब मार्गों का निर्माण होने से यह यात्रा पहले की तुलना में सुगम हो गई है। हालांकि, यात्रा में अभी भी अनेक खतरे मौजूद हैं। आइए, हम जानें कि केदारनाथ की यात्रा में किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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यह बात बहुत महतवपूर्ण है केदारनाथ यात्रा के दौरन

  1. उम्र : 12 साल से कम उम्र और 60 से ज्यादा की उम्र के लोगों को यहां की यात्रा को करने से बचना चाहिए क्योंकि केदारनाथ यात्रा पर चढ़ाई के समय ऑक्सिजन लेवल कम रहता है और रास्ते में कठोर चढ़ाई के जैसे और भी परेशानियों को झेलना पड़ सकता है।
  2. हेली सेवा : केदारनाथ यात्रा पर जाने से पहले अपनी हेली सेवा के लिए बुकिंग पहले से ज़रूर करा लें। हवाई सेवा ने केदारनाथ की यात्रा को सरल और सुगम बना दिया है। पहाड़ी ट्रेक पर चलने की चिंता और थकान से छुटकारा पाने के लिए, हेलीकॉप्टर से सवार होना एक आनंदमय अनुभव है। व्योमयान से ऊँचाईयों को छूने के साथ ही, अपार प्रकृति की गोद में बैठकर हमारी आत्मा भी उड़ जाती है।
  3. पैदल प्रैक्टिस : हेली सेवा के अलावा, यदि आप पैदल यात्रा का आनंद लेना चाहते हैं, तो कुछ किलोमीटरों तक पैदल चलने के लिए आप अभी से ही आवश्यक तैयारियाँ कर सकते हैं। यात्रा के दौरान आपके लिए उपयोगी सामग्री का संग्रह करें, ताकि आपको किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही, अभी से ही पैदल चलने का अभ्यास शुरू करें, क्योंकि आपको लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पैदल चलनी होगी। यदि आप पैदल चलना नहीं चाहते हैं, तो डोली या खच्चर का उपयोग करके भी यात्रा कर सकते हैं।
  4. ठहरने की व्यवस्था : केदारनाथ यात्रा के समय ज़ाहिर सी बात है की आपको खान-पान की व्यवस्था और रहने के लिए होटल की ज़रुरत होगी, इसलिए अपनी होटल की बुकिंग पेहले ही ज़रूर करले ताकि आपको यात्रा के बीच में कोई भी परेशानी न हो।
  5. जरूरी सामान : लाइफ जैकेट, जीपीएस मोबाइल, संपर्क बुक, कर्पूर, टॉर्च, फोल्डिंग छड़ी, उनी कपड़े, सूखे मेवे आदि जैसे सामन को रास्ते के खतरों से अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूर रखे। अपना आधार कार्ड और यात्रा कार्ड ले जाना ना भूलें। केदारनाथ यात्रा पर आपने को सकता है की कॉल करने के नेटवर्क इशू हो इसलिए आप केवल बीएसएनएल, वोडाफ़ोन और रिलायंस जिओ की सिम को उसे करे क्युकी वह आपको इनका बेहतर नेटवर्क रहता है।
  6. यात्रा मार्ग : केदारनाथ की यात्रा हरिद्वार या ऋषिकेश से प्रारंभ होती है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक केवल 5 किलोमीटर की दूरी होती है। यहां पहुंचते ही, दिव्यता की ऊंचाइयों तक आपकी यात्रा पहुंचेगी और आपके हृदय को आनंदमय उद्घोष भरेगा। चलिए, अद्वितीय प्रकृति के आवास में अपनी आत्मा को धारण करें और शांति का आनंद लें।
  7. यात्रा का समय : केदारनाथ यात्रा पर सही समय पर जाने से आप  कयु बेहतरीन नज़ारे और वह के बेस्ट टाइम को जी सके इसलिए वह जाने के लिए मई से अक्टूबर के मध्य का समय आदर्श माना जाता है  क्युकी इस समय मौसम काफी सुखद होता है। मंदिर के कपाट खुलने की तिथि अक्षय तृतीया और बंद होने की तिथि दीवाली के आसपास की होती है। जाने के सही समय के अलावा गलत समय जानना भी ज़रूरी है इसलिए आपको कभी बरसात के मौसम में वह जाना नहीं चाहिए।
  8. ठंड का सामान : ऊंचे और दूरगाम पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद ठंडी हवाएँ और भयंकर ठंड का सामना करना पड़ता है, जो यात्रा को आपातकालीन बना सकता है। अचानक बारिश भी हो सकती है, जिससे मौसम और ठंडी बदल सकती है। इसलिए, यात्रा के दौरान रेनकोट और कंबल का सहारा जरूर लें। इन यात्रा के रास्तों पर, विपरीत प्रकृति के प्रति आपकी भावनाओं को महसूस करें और उनसे जुड़ें। ध्यान रखें, आपकी ताक़त और साहस ही आपको इन परिवर्तनों से आगे बढ़ने में मदद करेंगे।
  9. रात में न करें यात्रा : रात्रि में कुछ लोग समय की बचत के लिए जोखिम उठाते हैं और पैदल निकल पड़ते हैं। जब रात्रि में जंगली जानवरों का खतरा होता है, तो उन्हें अपनी जान को बाध्यता में डालने की पड़ती है। प्राकृतिक आपदा के समय भी, रात्रि की अंधेरे में आप खुद को खतरे में पाने का सामना कर सकते हैं। केदारनाथ के मार्ग पर, वहां कई स्थान हैं जहां हिमस्खलन का खतरा होता है। इसलिए, आपको बताए गए मार्ग का ही प्रयोग करना चाहिए। इस तरह के संघर्षों से गुजरते हुए आपकी आत्मा और मन को एक अद्वितीय परीक्षण का सामना करना पड़ेगा, और जब आप उसे पार करेंगे, तो आपकी साहसिकता और स्थायित्व में वृद्धि होगी।
  10. गौरीकुंड से यात्रा : एक ही दिन में यात्रा करने का निश्चय करते हैं, तो शाम के पहले ही गौरीकुंड तक पहुंच जाएं। शाम के बाद का मौसम अनिश्चित होता है और वहां कठिनाईयाँ हो सकती हैं। गौरीकुंड से सोनप्रयाग रात में न जाएं, सुबह जल्दी चलें। रात के वाहनों में सीट कम हो सकती है और गौरीकुंड में पहले से ही होटल या लॉज बुक नहीं कराना पड़ सकता है, इसलिए परेशानी का सामना हो सकता है। इन कठिन परिस्थितियों में, आपके मन में भाव उभरेंगे, जैसे चिंता, उत्सुकता, और आंतरिक संघर्ष। लेकिन जब आप इन संघर्षों को पार करेंगे, तब आपकी सामरिकता और समर्पण आपको अद्वितीय अनुभवों की ओर ले जाएंगे।

निष्कर्ष

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केदारनाथ मंदिर के कपाट नवम्बर महीने के आस पास बंद किये जाते हैं क्योंकि इस समय केदारनाथ मंदिर पर बर्फ भारी बहुत ज्यादा होने लगती हैं जिसे श्रद्धालु को आने जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं
 
केदारनाथ मंदिर के कपाट वह के मौसम पर निर्भर करता हैं की कपाट कब खोले जाये | ज्यादा बर्फ भारी होने के कारण कपाट खोलने की तारीख आगे पीछे होती रहती हैं
केदारनाथ मंदिर पहुँचने तक की चढाई मात्र 16 किलोमीटर की हैं
 

केदारनाथ मंदिर भारत के चार धाम यात्रा मैं से एक हैं इसलिए इस मंदिर की मान्यता बहुत अधिक हैं

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ज़िन्दगी में 1 बार इस हिल स्टेशन पर नहीं गए तो क्या घूमे। इंडिया की सबसे खूबसूरत जगहे कश्मीर या गोवा नहीं बल्कि ये है। केदारनाथ के रहस्य जो शायद आप नहीं जानते होंगे।