01. Taj Mahal का शाही दरवाज़ा

Taj Mahal में जो हज़ारो टूरिस्ट घूमने आते है वो ये नहीं जानते की वो जो देख रहे है वो ताज महल का पिछले हिस्सा है उनको यही लगता है की वह ताज महल का अगला हिस्सा है क्युकी पिछले और अगला दोनों हिस्सों का दृश्य बिलकुल एक जैसा है। लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे की Taj Mahal का जो शाही दरवाज़ा है वो नदी के किनारे दूसरी तरफ है और यही कारण है की आज ज़्यादातर टूरिस्ट ताज को वैसा नहीं देख पाते जैसा शाहजहां चाहते थे।
मुग़ल काल में ताज तक पहुंचने के लिए नदी ही एक एकमात्र रास्ता था। बादशाह और उनके शाही मेहमान इस रास्ते से आते थे नदी के किनारे एक चबूतरा था जैसे जैसे नदी का पानी बढ़ता गया वह चबूतरा भी नष्ट हो गया है वो नदी के किनारे दूसरी तरफ है और यही कारण है की आज ज़्यादातर टूरिस्ट ताज को वैसा नहीं देख पाते जैसा शाहजहां चाहते थे। मुग़ल काल में ताज तक पहुंचने के लिए नदी ही एक एकमात्र रास्ता था।
02. Taj Mahal के कीमती रत्न

इस बात में तो कोई शक नहीं है की Taj Mahal से पहले ऐसी भव्य और खूबसूरत इमारत दुनिया ने पहले कभी नहीं देखि थी, इस खूबसूरत इमारत को बनाने के लिए पूरी दुनिया भर से अनमोल रत्नो को लाया गया था।
इसके लिए संगेमरमर पत्थर को राजस्थान के मकराना से लाया गया था जेड (Jade) और क्रिस्टल (Crytal) को चीन (China) से लाया गया था, लैपिज़ लज़ूली (Lapiz Lazuli) को अफ़ग़ानिस्तान (अफ़ग़ानिस्तान) से लाया गया था, तुर्कोइसे (Turqoise) को तिब्बत से लाया गया था, जेस्पर (जेस्पर) को पंजाब (punjab) से लाया गया था, सफायर (Sapphire) को श्रींलंका (Sri Lanka) से लाया गया था और कार्नेलियन (Carnelian) को अरब (Arab) से लाया गया था।
कुल मिलाकर ऐसे ही 28 क़िस्म के बेहद बेष कीमती रत्नो को सफ़ेद रंग के संगेमरमर में जड़ा गया था। इन सभी रत्नो और विदेश से आगरा लेकर आने के लिए 1000 से भी ज़्यादा हाथी इस्तेमाल किये गए थे।
03. Taj Mahal का सोने का कलश

ताज महल के मुख्या गुम्मद के ऊपर जो चमचमाता कलश है वह किसी ज़माने में सोने का हुआ करता था लेकिन 19 वि सदी की शुरुआत में सोने के कलश को हटा कर काशे के कलश को लगा दिए गया था। सोने के कलश को हटा कर काशे के कलश को लगाने का क्या कारण था उसके बारे में कोई ठोस खबर तो नहीं है लेकिन आप यह कह सकते है की सेफ्टी के कारण से उसको बदला गया था।
04. ताज की कैलीग्राफी

अगर ताज की सजावट की बात करे तो उसपर लिखी गयी कैलीग्राफी का इसमें बोहोत बड़ा योगदान है यह माना जाता है की इस दुनिया में जितनी भी ऐतिहासिक इमारते है और उनपर जो कैलीग्राफी की गयी उन सब में सबसे ज़्यादा खूबसूरत कलिग्रफी Taj Mahal पर की गयी है। जैसे ही आप ताज के दरवाज़े से अंदर जाते हो तो उसके विशाल द्वार पर यह खूबसूरत कलिग्रफी लेख आपका स्वागत करता है।

ऊपर दिखाई गयी तस्वीर में जो लेख है ऐसे ही लेख ताज के ऊपर लिखे हुए है यह कलिग्रफी थुलथ (Thuluth) लिपि में की गयी है और इस कैलीग्राफी को डिज़ाइन करने वाले व्यक्ति का नाम अब्दुल हक़ था लेकिन उसे अमानत खान के नाम से भी जाना जाता है क्यूँकि शाहजहाँ ने उसकी खूबसूरत कैलीग्राफी की कला को देखते हुए यह नाम रखा था उपाधि के तौर पर ओर उसे ईरान (Iran) से भारत बुलाया गया था।
05. कितने कारीगरों ने बनाया था ताज ?

Taj Mahal आज से करीब 400 साल पहले 1631 बनना शुरू हुआ था और इसे बनने में करीब 22 सालो का समय लगा था और सन्न 1653 में यह बनकर त्यार हुआ था। इस महल के निर्माण के लिए करीबन 20000 कारीगरों और मजदूरों ने मिलकर किया था और यह माना जाता है की वास्तुकला का इससे बेहतर और शानदार नमूना दुनिया में दूसरा कोई भी नहीं है।
ताज महल के निर्माण के लिए हर चीज़ को बड़े ही गहराई से परख कर चुना गया था ताज की दीवारों पर जो नक्काशी की गयी है इसकी तकनीक इटली (Italy) के कारीगरों से सीखी गयी थी, उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan) के बुखारा के रेगिस्तान से संगेमरमर को तराशने वाले कारीगर बुलाये गए थे, ईरान से संगेमरमर पर कलिग्रफी करने वाले कारीगर आये थे और पत्थर को तराशने के लिए बलोचिस्तान (Balochistan) से कारीगरों को बुलाया गया था।
06. क्या मजदूरों के हाथ काट दिए गए थे ?

ये अक्सर कहा जाता रहा है और शायद आपने भी सुना हो की शाहजहाँ ने Taj Mahal बनाने वाले मज़दूरों के हाथो को कटवा दिया था, लेकिन यह बात एक अफवाह जैसी सुनाई पड़ती है।
क्युकी इतिहास की किसी भी किताब में इसका कोई भी परिमाण मौजूद नहीं है और नाही इसका कोई सबूत है। बल्कि बोहोत से इतिहास कारो का मान न है की शाहजहाँ ने मजदूरों और कारीगरों को ज़िन्दगी भर की पगार देदी थी और उनसे ये करार नाम लिखवाया था की वो ऐसी कोई और दूसरी इमारत नहीं बनाएंगे।
07. क्या ताज महल की ऊँचाई क़ुतुब मीनार से भी ज़्यादा है ?

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क़ुतुब मीनार पूरे भारत की सबसे ऊँची मीनार है लेकिन शायद आपको यह बात जानकार हैरानी हो की Taj Mahal की ऊंचाई क़ुतुब मीनार से भी ज़्यादा है हालांकि यह अंतर आपको आखो से देख कर समझ नहीं आएगा लेकिन ऊँचाई की बात करे तो क़ुतुब मीनार की ऊँचाई है 72.5 मीटर और ताज महल की ऊँचाई है 73 मीटर्स।
08. ताज का डिज़ाइन किसने तैयार किया था ?

अगर ताज महल के खूबसूरत डिज़ाइन की बात करे तो यह बात दावे से तो नहीं कही जा सकती की किसने इसे डिज़ाइन किया था लेकिन यह कहा जाता है की करीब 37 लोगो के एक समूह ने मिलकर ताज का नक्शा तैयार किया था और इन 37 वास्तुकार दुनिया के दूर – दूर के कोनो से बुलाये गए थे।
09. रत्नो की चोरी

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अंग्रेज़ो ने ताज महल को काफी नुक्सान पहुंचने की कोशिश की थी 1857 की क्रांति के दौरान उन्होंने लैपिज़ लज़ूली जैसे बेष कीमती रत्नो को ताज महल की दीवारों से खोद कर निकाल लिए था। यही कारण है की आज Taj Mahal में कई जगहों पर केवल गड्ढे है जहा पर किसी समय पर बेष कीमती रत्न हुआ करते थे।
10.क्या ताज को भूकंप भी नष्ट नहीं कर सकता ?

ताज महल की जो 4 मीनारे है वह बिलकुल सीधी नहीं खड़ी है बल्कि उनको बहार की और हल्का सा झुकाया हुआ है और यह कोई गलती नहीं है इसे बड़े ही सोच समझकर ऐसा बनाया गया है ताकि भूकंप जैसे आपदा में इस अनमोल इमारत को कोई ठेस ना पहुंच सके और यह चारमीनार बहार की दिशा में गिरे ना की अंदर ताज की तरफ।
11. ताज में दरार

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ताज महल की नीव को बनाते समय ताज के चारो तरफ बोहोत से कुए खोदे गए थे इन कुओ में ईट, पत्थरो के साथ – साथ आबनूस और महोगनी की लकड़ियों के लट्ठे भी डाले गए थे और यही के ताज की नीव को मज़बूत बनाते है क्युकी आबनूस और महोगनी की लकड़ियों में एक खासियत होती है की इन लकड़ियों को जितनी नमी मिलती रहेगी यह उतनी ही मज़बूत और ठोस होती रहेंगी और इन लकड़ियों को नमी ताज महल के पास बहने वाली यमुना नदी से मिलती है। लेकिन एक निराश करने वाली खबर यह भी है की यमुना के पानी का स्तर हर साल घाट रहा है और इसी कारण से लकड़ियों में नमी की कमी आगयी है और यही वजह है की सन्न 2010 में ताज में दरारे देखि गयी।